शीलती प्राणायाम
✅ शीतली प्राणायाम की विधि (विधान)
सूत्र (Step-wise method):
जिह्वा को नलिका रूप में बनाकर श्वास का आह्वान, फिर नासिका से रेचन।
विधि:
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आरामदायक योगासन (जैसे पद्मासन, सुखासन) में बैठ जाएं।
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आँखें बंद करें और शरीर को शांत रखें।
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जीभ को बाहर निकालें और उसे नलिका (ट्यूब) की तरह गोल करें (जैसे 'सीटी' बजाने की मुद्रा)।
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इस नलिका से धीरे-धीरे, लंबी और गहरी सांस अंदर लें — ठंडी हवा जीभ को छूती हुई अंदर जाती है।
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फिर जीभ को अंदर कर लें और नाक के दोनों छिद्रों से धीरे-धीरे सांस बाहर छोड़ें।
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यह एक चक्र हुआ। ऐसे 5 से 10 बार करें (शुरुआत में धीरे-धीरे बढ़ाएं)।
🌿 शीतली प्राणायाम के लाभ (Benefits)
📌 सूत्र: “शीतली पित्तनाशाय, मनःशांतिप्रदायिनी।”
("शीतली प्राणायाम पित्त दोष का नाश करती है और मन को शांत करती है।")
मुख्य लाभ:
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🔥 पित्त दोष का नियंत्रण: शरीर की गर्मी को कम करता है।
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🧘♀️ मानसिक शांति: तनाव, क्रोध और चिड़चिड़ेपन को कम करता है।
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❤️ रक्तचाप नियंत्रण: उच्च रक्तचाप में सहायक।
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😌 शरीर को ठंडक: गर्मियों में विशेष लाभदायक।
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😷 पाचन क्रिया में सुधार: अम्लपित्त (Acidity) और अपच में उपयोगी।
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🧠 एकाग्रता में वृद्धि: मस्तिष्क को शांति मिलती है।
सावधानियाँ (Precautions)
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शीत ऋतु (ठंड के मौसम) में इसका अभ्यास न करें या बहुत सीमित करें।
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अस्थमा, सर्दी-जुकाम, टॉन्सिल आदि में अभ्यास से परहेज करें।
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भोजन के तुरंत बाद इसका अभ्यास न करें — भोजन के 2 घंटे बाद करें।
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