प्राणायाम किसे कहते हैं।
प्राणायाम किसे कहते हैं?
प्राणायाम योग का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो श्वास-प्रश्वास की नियंत्रित क्रिया के माध्यम से शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करने का साधन है। "प्राणायाम" शब्द दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है – "प्राण" और "आयाम"। "प्राण" का अर्थ है जीवन शक्ति या जीवनी ऊर्जा, और "आयाम" का अर्थ है विस्तार या नियंत्रण। अतः प्राणायाम का तात्पर्य है – जीवन ऊर्जा का नियंत्रण एवं उसका विस्तार।
प्राणायाम का महत्व
योगशास्त्र में प्राण को शरीर की सूक्ष्म शक्ति माना गया है, जो न केवल श्वास के रूप में कार्य करती है, बल्कि पूरे शरीर में ऊर्जा के संचार को भी नियंत्रित करती है। जब यह ऊर्जा असंतुलित हो जाती है, तो व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से अस्वस्थ हो जाता है। प्राणायाम के अभ्यास से इस ऊर्जा को संतुलित कर स्वास्थ्य, शांति और चेतना का विकास किया जा सकता है।
प्राणायाम के प्रकार
प्राणायाम के विभिन्न प्रकार हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
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अनुलोम-विलोम प्राणायाम – इसमें एक नासाछिद्र से श्वास लेना और दूसरे से छोड़ना होता है। यह नाड़ीशुद्धि का कार्य करता है और मानसिक संतुलन प्रदान करता है।
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कपालभाति प्राणायाम – यह एक तीव्र गति से श्वास छोड़ने की क्रिया है, जिससे फेफड़े, यकृत, और पाचन तंत्र सक्रिय होते हैं। इससे शरीर के विषैले तत्व बाहर निकलते हैं।
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भस्त्रिका प्राणायाम – इसमें तेज गति से श्वास लेना और छोड़ना होता है। यह शरीर में गर्मी उत्पन्न करता है और ऊर्जा को जाग्रत करता है।
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भ्रामरी प्राणायाम – श्वास को लेते और छोड़ते समय भौंरे के समान गूंजती हुई ध्वनि उत्पन्न की जाती है। यह तनाव, चिंता और क्रोध को शांत करता है।
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शीतली और शीतकारी प्राणायाम – ये शरीर को ठंडक देने वाले प्राणायाम हैं, जो विशेषकर गर्मी के मौसम में लाभकारी होते हैं।
प्राणायाम के लाभ
प्राणायाम से शरीर और मन दोनों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। नियमित अभ्यास से तनाव, चिंता, अवसाद और उच्च रक्तचाप में राहत मिलती है। यह फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाता है, हृदय को मजबूत करता है और पाचन को सुधारता है। मानसिक दृष्टि से यह ध्यान को गहरा करता है, स्मरण शक्ति को तेज करता है, और आत्मिक शांति प्रदान करता है।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण
पतंजलि योगसूत्र में प्राणायाम को अष्टांग योग का चौथा अंग माना गया है। इसके द्वारा चित्त की वृत्तियों को शुद्ध किया जाता है, जिससे ध्यान (धारणा और ध्यान) में सहजता प्राप्त होती है। प्राणायाम आत्म-साक्षात्कार की ओर एक महत्त्वपूर्ण सीढ़ी है।
निष्कर्ष
प्राणायाम न केवल एक श्वसन अभ्यास है, बल्कि यह संपूर्ण जीवनशक्ति को जागृत और संतुलित करने की एक विधा है। इसके माध्यम से व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य को प्राप्त कर सकता है। यह एक सरल लेकिन अत्यंत प्रभावशाली योग अभ्यास है, जो नियमित रूप से किया जाए तो जीवन में स्थायी परिवर्तन ला सकता है।
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